Saturday, 23 January 2021

क्षरण

पल पल 
जूझते खुद से
करण ने भी किये होंगे
खुद से सवाल कुछ ऐसे ही
निःशब्द,चुपचाप;

जहां साहस जवाब दे चले
विवेक दिग्भ्रमितहो चले
सत्य दिखाते है राह
बनते हैं सम्बल

पर जहां सत्य ही मरीचिका हो
करन सदृश व्यक्तित्व का टूटना
धागे धागे में बिखरना
असम्भव नही
पल पल

Friday, 22 January 2021

मौत

मौत चलती है साथ साथ हर कदम
ज़िन्दगी का दामन थाम कर उम्र भर
और मौत आते ही निकल जाती है ज़िन्दगी
हाथ छुड़ा कर यूँ मनो कोई पहचान न थी

एक मौत और एक ज़िन्दगी

मौत कभी ज़िन्दगी का खात्मा नही हो सकती
एक रेख है बड़ी दूर से चलती चली आती है
अनगिनत बिंदुओं को समेटे हुए
स्पर्श करते,सहलाते,
कुछ लेते कुछ देते हुए

एक बिंदु पर ही हठात् 
ख़त्म कैसे हो जायेगी कहानी
ज़िन्दगी तो रहेगी
तेरे मेरे दरमियान
कहानियां बन के
हंसी और नसीहत बन के
इक दूर का तारा बन के 

बिखर जाएंगे यूँ ही तेरे आसपास
नज़र आएंगे यादों में 
बंद पलको की कोर पर
थमे आसुओं में
मौत ज़िन्दगी का दामन पकड़ के चलती है 
साथ साथ ,उम्र भर
ज़िन्दगी जुदा मौत से क्यों हो जायेगी