हर बार जब आप किसी होम्योपैथ को कंसल्ट करते हैं हैरान हो जाते हैं -हद है
दर्द है पेट में और सवाल सर से ले कर पैर तक हर सिस्टम से -बेतुके बे सर
पैर के सवाल और तो और प्यास कैसी है नींद कैसी है सपने कैसे आते हैं ठंढ
अधिक लगती है या गर्मी --ये सब क्या है ?
एक कॉमन अवधारणा है होमियोपैथी के सन्दर्भ में की ये रोग को जड़ से ख़त्म करती है -पुराने से पुराने मर्ज़ के लिए लोग यहां सिर्फ इसी कारण आते हैं
एक और बात -ये भी मानना है लोगों का की ये पैथी बहुत धीरे धीरे निराकरण करती है रोग का अतएव लोग इसमें आने से भरसक बचते भी हैं जबतक मर्ज़ एकदम ला इलाज़ न हो जाए (हालां कि यह पूरी तरह सही नहीं पर इसके विषय में चर्चा हम बाद में करेंगे )
तो देखा जाए तो इन सारे ही उपर्युक्त जिज्ञासाओं का जवाब सिर्फ एक तथ्य में निहित है --होमियोपैथी किसी मर्ज़ का इलाज़ ही नहीं करती --ये इलाज़ करती है मरीज का -ये रोग से नहीं लड़ती बल्कि रोगी की प्रतिरोधक क्षमता को ही इतना सक्षम बना देती है कि रोग आपके सिस्टम में ठहर ना सके --एक छोटा सा उदाहरण ले लें कोई भी वाइरल इन्फेक्शन ले लें या सर्दी जुकाम --किसी भी एक ही जगह या एक ही परिस्थितियों में रहने वाले हर व्यक्ति को प्रभावित नहीं करता -क्यों ?उनके शरीर कि अलग अलग प्रतिरोधक क्षमताओं के कारण --तो होम्योपैथी आपकी इसी क्षमता को इतना सक्षम करने का काम करती है कि रोग से लड़ कर आपका शरीर स्वयं उसे भगा सके
अब इसके लिए हमें हर मरीज से एक तादात्म्य स्थापित करना पड़ता है -उसे समझना पड़ता है जिसकेलिये सिर्फ रोग या उस सिस्टम विशेष के लक्षण ही पर्याप्त नहीं है बल्कि उस व्यक्ति विशेष के लक्षण -जो उस व्यक्ति की अपनी पहचान है जो उसे बाकी समस्त लोगों से अलग करते हैं -जैसे उसकी नींद सपने उसकी मानसिक अवस्था उसकी रुझान --और भी बहुत कुछ उसे रोग के लक्षणों से जोड़ कर एक पिक्चर बनती है मरीज की ,उस मरीज की जिसका इलाज हमें करना है
दर्द की दवा दे कर दर्द को दबा देना तो इलाज़ नहीं -शमन है और जब भी किसी चीज का शमन होता है वो कहीं न कहीं सर उठाती ही है --होम्योपैथी शमन नहीं करती जब तक नितांत आवश्यक न हो --आज यहीं तक -फिर मिलेंगे कुछ पूछना हो तो ज्वाइन करें
https://www.facebook.com/Homoeopathy-104034524265…/timeline/
एक कॉमन अवधारणा है होमियोपैथी के सन्दर्भ में की ये रोग को जड़ से ख़त्म करती है -पुराने से पुराने मर्ज़ के लिए लोग यहां सिर्फ इसी कारण आते हैं
एक और बात -ये भी मानना है लोगों का की ये पैथी बहुत धीरे धीरे निराकरण करती है रोग का अतएव लोग इसमें आने से भरसक बचते भी हैं जबतक मर्ज़ एकदम ला इलाज़ न हो जाए (हालां कि यह पूरी तरह सही नहीं पर इसके विषय में चर्चा हम बाद में करेंगे )
तो देखा जाए तो इन सारे ही उपर्युक्त जिज्ञासाओं का जवाब सिर्फ एक तथ्य में निहित है --होमियोपैथी किसी मर्ज़ का इलाज़ ही नहीं करती --ये इलाज़ करती है मरीज का -ये रोग से नहीं लड़ती बल्कि रोगी की प्रतिरोधक क्षमता को ही इतना सक्षम बना देती है कि रोग आपके सिस्टम में ठहर ना सके --एक छोटा सा उदाहरण ले लें कोई भी वाइरल इन्फेक्शन ले लें या सर्दी जुकाम --किसी भी एक ही जगह या एक ही परिस्थितियों में रहने वाले हर व्यक्ति को प्रभावित नहीं करता -क्यों ?उनके शरीर कि अलग अलग प्रतिरोधक क्षमताओं के कारण --तो होम्योपैथी आपकी इसी क्षमता को इतना सक्षम करने का काम करती है कि रोग से लड़ कर आपका शरीर स्वयं उसे भगा सके
अब इसके लिए हमें हर मरीज से एक तादात्म्य स्थापित करना पड़ता है -उसे समझना पड़ता है जिसकेलिये सिर्फ रोग या उस सिस्टम विशेष के लक्षण ही पर्याप्त नहीं है बल्कि उस व्यक्ति विशेष के लक्षण -जो उस व्यक्ति की अपनी पहचान है जो उसे बाकी समस्त लोगों से अलग करते हैं -जैसे उसकी नींद सपने उसकी मानसिक अवस्था उसकी रुझान --और भी बहुत कुछ उसे रोग के लक्षणों से जोड़ कर एक पिक्चर बनती है मरीज की ,उस मरीज की जिसका इलाज हमें करना है
दर्द की दवा दे कर दर्द को दबा देना तो इलाज़ नहीं -शमन है और जब भी किसी चीज का शमन होता है वो कहीं न कहीं सर उठाती ही है --होम्योपैथी शमन नहीं करती जब तक नितांत आवश्यक न हो --आज यहीं तक -फिर मिलेंगे कुछ पूछना हो तो ज्वाइन करें
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