बहुत मुश्किलों से लड़ के ये मंज़िल पाई है
बहुत अपनों ने साथ वफ़ा भी निभाई है
गौर वफादारी का करो नाज़ मन्ज़िलों का करो
ना तंज ,न रन्ज राह में छूटी रहगुज़र का करो
जो अपने हैं साथ दिखते नही फिर भी होते हैं
फैसलों में गरचे शामिल न हों तो फिक्रमंद होते हैं
जीत तेरी हो तो हार अपनी भूल जाते हैं
दुनिया मे ऐसे तो सिर्फ मां बाप होते हैं।
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